रेल कोच में असमंजस निगामिकरण के विरोध में उतरे कर्मचारी व उनके परिवार

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कर्मचारी बोले भाजपा सरकार ने 5 साल में फैक्ट्रियां तो नहीं लगाई लेकिन जो है उन्हें भी खत्म कर रही है

बोले आक्रोशित स्थानीय लोग केंद्र सरकार ने 5 साल में स्थानीय लोगों को क्यों नहीं दे दिया रोजगार!

रायबरेली– मॉडर्न रेल कोच कारखाना या कहे भारत का सबसे उन्नत रेल कोच कारखाना रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी का वह सपना जिसे उन्होंने हर हाल में पूरा करवाया सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए इस कारखाने का निर्माण किया गया यही नहीं यहां पर लगी मशीनें फ्रांस, जर्मनी, कोरिया से मंगाई गई है कारखाने में रोबोटिक बेल्ट है जहां पर ऑटोमेटिक निर्माण की प्रक्रिया की जाती है। जैसे ही मोदी सरकार द्वारा यह घोषणा की गई अब रायबरेली मॉडर्न रेल कोच कारखाना सहित अन्य रेलवे से जुड़ी फैक्ट्रियों का निगमीकरण किया जाएगा फैक्ट्रियों में काम कर रहे कर्मचारी अपने परिवार के साथ विरोध प्रदर्शन करने लगे काले बैच लगाकर वह काम कर रहे हैं जद्दोजहद कर रहे हैं कि वह अपना अस्तित्व और फैक्ट्री का अस्तित्व बनाए रखें। निगमीकरण की बात सुनते ही कर्मचारी यह कह रहे हैं सरकार उनके साथ खेल खेलना चाह रही है कुछ समय बाद फैक्ट्री को यह दिखा दिया जाएगा इसकी स्थिति ठीक नहीं और उसे प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाएगा सबसे बड़ा डर कर्मचारियों के अंदर यही है। कर्मचारी अपने बच्चों परिजनों के संग शाम को काम करने के बाद एकत्रित होकर रोजाना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं प्रदर्शनकारियों का कहना है उन्हें यकीन नहीं था जिस भाजपा की सरकार और नरेंद्र मोदी पर विश्वास किया उन्हें वह धोखा देंगे उनकी रोजी-रोटी पर हमला किया जा रहा है कर्मचारियों के परिवार जनों का कहना है मोदी सरकार ने पिछले 5 सालों में देश में कोई भी फैक्ट्री नहीं लगाई यही नहीं मॉडर्न रेल कोच कारखाने में भी रोजगार के पर्याप्त मौके नहीं तलाशे गए राजनीति के नाम पर सिर्फ रोटियां से की गई इस मॉडल रेल कोच कारखाने का इस्तेमाल भाजपा सरकार अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए कर रही थी। स्थानीय लोगों का भी फैक्ट्री के निगमीकरण के प्रति गहरा आक्रोश है लोगों का कहना है जिस फैक्ट्री से रायबरेली की पहचान है और वह इस समय अपनी क्षमता से ज्यादा उत्पादन कर रही है वहां पर भाजपा की सरकार स्थानीय लोगों को रोजगार ना देकर मॉडर्न रेल कोच कारखाने को निगमीकरण करने जा रही है यह बेहद निराशा पूर्ण है इससे अच्छा होता प्रधानमंत्री मौजूदा फैक्ट्री में ही सरकारी भर्ती निकालते स्थानीय लोगों की भर्ती की जाती उन्हें पर्याप्त रोजगार मिलता लेकिन उन्होंने पूरे 5 साल सिर्फ इस फैक्ट्री के नाम पर कांग्रेस को कोसने का काम किया है स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी नहीं दी गई आखिर अगर उन्हें इतनी ही चिंता होती तो 5 सालों में स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी क्यों ना दे देते। स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं उनका कहना है सरकार यह ठीक नहीं कर रही आज देश में उत्पादन क्षमता कमजोर होती जा रही है देश बदल होता जा रहा है जो फैक्ट्रियां थी उन्हें ना चालू कर कर जो फैक्ट्री मौजूद है उनको भी बंद करने का काम भाजपा सरकार कर रही है हाल में ही रिपोर्ट आई है जिसमें देश में उत्पादन क्षमता कम हो गई है लोगों का कहना है इसकी जिम्मेदार भाजपा सरकार है जिस की कार्यशैली की वजह से सारी फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर है लोगों के रोजगार चुने जा रहे हैं जब एक तरफ रोजगार देश में है ही नहीं बेरोजगारी मार से समूचा देश बदहाल है युवाओ के हाथों में रोजगार नहीं है उसे संगठित और असंगठित रूप से काम करना पड़ता है लेकिन वहां पर वेतन अस मानता है सरकारी मानक के अनुसार उसे वेतन तक नहीं मिलता ऐसे में सरकार ना जाने क्या करना चाह रही है भारत इससे विकसित नहीं और बदहाल हो जाएगा।

इन फैक्ट्रियों का होगा निगमीकरण, नहीं लागू होगा रेल सेवा अधिनियम

इन उत्पादन इकाइयों को निगम बनाया जाएग डीजल रेल इंजन कारखाना वाराणसी, चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, आसनसोल, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई, डीजल माडनाजेशन वर्क्स पटियाला, ह्वील एंड एक्सल प्लांट बंगलूरू, मार्डन कोच फैक्ट्री रायबरेली। फैक्ट्रियों में वर्तमान वर्तमान व्यवस्था यह है सभी कर्मचारी भारतीय रेलवे के हैं। रेल सेवा अधिनियम लागू होता है। सभी को केंद्रीय कर्मचारी माना जाता है। उत्पादन इकाइयों का सर्वेसर्वा जीएम होता है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को जीएम रिपोर्ट करते हैं। जबकि निगम बनने के बाद ये होगी व्यवस्था जीएम की जगह सीईओ की तैनाती। सीईओ, सीएमडी को रिपोर्ट करेगा। ग्रुप सी और डी का कोई कर्मचारी भारतीय रेलवे का हिस्सा नहीं होगा। ग्रुप सी और डी के कर्मचारी निगम के कर्मचारी होंगे। इन पर रेल सेवा अधिनियम लागू नहीं होगा। कारपोरेशन के नियम के तहत काम करना होगा। कर्मचारियों के लिए अलग से पे-कमीशन आएगा। संविदा पर काम करेंगे। केंद्र सरकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी। सेवा शर्तें भी बदल जाएंगी। नए कर्मचारियों के लिए पे-स्केल और पे-स्ट्रक्चर भी बदल जाएगा। कर्मचारियों की आपत्ति है कि जिन इकाइयों के पास ज्यादा जमीन और करोड़ों की मशीनें हैं उनका निगमी करण किया जा रहा ग्रुप सी और डी के कर्मचारियो को नौकरी पर तलवार लटकी रहेगी कर्मचारियों को सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी केंद्रीय कर्मचारी नहीं कहलाएंगे निगम को घाटे में बता कर कभी भी निजी कंपनियों को बेचने की आशंका बनी रहेगी।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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