सांगीपुर, प्रतापगढ़
जनपद के ब्लॉक सांगीपुर सीमांतर्गत ग्राम मंगापुर में स्थित बालगोविंद मार्केट सभागार में शिक्षाविद पंडित भवानी शंकर उपाध्याय के नेतृत्व में संचालित मानस मंथन का भव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ। संस्कार शीर्षक पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों ने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित लब्धप्रतिष्ठित कथाव्यास आचार्य पंडित सुभाष चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि संस्कारों में तमाम विकार आ गए हैं, जिन्हें रोकने की आवश्यकता है। शादी समारोहों का विद्रूप रूप देखने को मिल रहा है, इसमें सुधार लाने की जिम्मेदारी समाज के चिंतनशील विद्वानों की है।
उन्होंने आगे कहा कि यज्ञ करना, जनेऊ धारण करना, स्नान और पूजन करना जीवन के अमूल्य अंग हैं। पूजन के साथ नित्य यज्ञ होना ही चाहिए। पुरानी माताओं द्वारा हमेशा अगियार करने की प्रथा पुरानी है।
आचार्य जी ने बफर सिस्टम को समाज की बड़ी विकृति मानते हुए कहा कि इसे तत्काल बंद होना चाहिए। उन्होंने विवाह में चमक-दमक और नंगा नाच को भी सामाजिक विकृति मानते हुए कहा कि विवाह संस्कार चर्चा नहीं बल्कि आचरण का विषय है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित परशुराम उपाध्याय सुमन एवं धर्मपत्नी श्रीमती भानुमती उपाध्याय ने बाबा अमरनाथ धाम का चित्र, अंगवस्त्रम, माला, पगड़ी, मिष्ठान एवं द्रव्य भेंटकर आचार्य पंडित सुभाष चंद्र त्रिपाठी का सारस्वत सम्मान किया। आचार्य जी के जयघोष के नारों से गुंजित हो गया वातावरण।
कार्यक्रम के शुभारंभ में मानस मंथन के निर्धारित कार्यक्रमानुसार चांदनी पुष्प का वृक्षारोपण किया गया। आतिथेय परशुराम उपाध्याय सुमन ने उपस्थित विद्वानों का हार्दिक स्वागत किया।
इस अवसर पर शिक्षक विद्वान मनो विश्राम मिश्र, कृष्णनारायण लाल श्रीवास्तव, अर्जुन सिंह, जनार्दन प्रसाद उपाध्याय, दयाशंकर दीक्षित, शिवमंगल सिंह बघेल, आत्म प्रकाश उपाध्याय, महावीर सिंह, डॉक्टर हृदयपाल सिंह एवं शिक्षाविद पंडित भवानी शंकर उपाध्याय ने अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में पंडित श्यामसुंदर मिश्र, दिनेश उपाध्याय, अवधेश उपाध्याय, अशोक मिश्र, श्रीमती अनारपती उपाध्याय, ठकुराइन, गिरिजेश उपाध्याय, सत्यम उत्तम आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
अवनीश कुमार मिश्रा रिपोर्ट