शिवगढ़ (रायबरेली)। एक ओर जहां सूबे की योगी सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। वहीं किसान डीएपी के लिए किसानों में हाहाकार मची हुई है। देश के अन्नदाता कहे जाने वाले किसान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। बाजार में धड़ल्ले से खाद की कालाबाजारी हो रही है। आलम यह है कि गेहूं सहित रवि की अन्य फसलों की बुवाई प्रारंभ हो गई है। जबकि साधन सहकारी समितियों से डीएपी, यूरिया नदारद है।
सूत्रों की मानें तो बाजार में ब्रांडेड खाद की बोरियों में नकली डीएपी बेचे जाने का गोरखधंधा जोरों से चल रहा है, जिसकी पहचान जागरूक किसान तो कर लेते हैं किंतु नकली खाद के गोरख धंधे से अंजान किसान मजबूर होकर जिसे महंगे दामों में खरीद रहे हैं। जागरूक किसानों का कहना है कि बीजेपी सरकार किसान हितैषी होने के दावे तो बड़े-बड़े करती हैं किंतु जमीनी हकीकत में देखा जाए तो इस सरकार में सबसे ज्यादा शोषण किसानों का हो रहा है। बछरावां निवासी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यकुमार सोनी का कहना है कि किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहा है डीजल और बीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। नहरों में पानी की जगह धूल उड़ रही है ऐसे में कैसे होगी किसानों की आय दूनी ? बताते चलें कि शिवगढ़ क्षेत्र में कुल सात साधन सहकारी समितियां हैं जिनमें से एक-दो को छोडकर सभी समितियों से डीएपी यूरिया नदारद हैं। यही हाल खजुरों कृषि वानिकी समिति लिमिटेड कहां है जहां पिछले माह तीन अक्टूबर को एक गाड़ी डीएपी आई थी जिसके बाद से अभी डीएपी नहीं आई है। जागरूक कृषक सुरेश कुमार रावत का कहना है कि जिन समितियों में डीएपी उपलब्ध है उनमें पहुंच वाले व्यक्तियों को रात के अंधेरे में डीएपी की कालाबाजारी की जाती है जब किसानों द्वारा विरोध किया जाता है तो जो करना है कर लो की धमकी देकर किसानों को पहुंच का हवाला दिया जाता है। किसान यूनियन के जिला उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार वर्मा का कहना है कि जुमलेबाज बीजेपी सरकार की सारी योजनाएं छलावा साबित हो रही हैं, जिनका धरातलीय पटल से कोई वास्ता नहीं है। कांग्रेस पार्टी के जिला संगठन सचिव दिनेश यादव, शिवगढ़ ब्लाक अध्यक्ष दिग्विजय सिंह मुन्ना भैया का कहना है कि देश की जीविका चलाने वाले किसानों की स्थिति बीजेपी सरकार ने अत्यंत दयनीय, जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। क्षेत्र के जागरूक किसानों का कहना है कि खाद की कालाबाजारी एवं खाद को महंगे दामों में बेंचे जाने का काम जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। यदि यही हाल रहा तो वे सडकों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। क्षेत्र के किसानों ने खाद की दुकानों पर छापेमारी कर उचित रेट में खाद बिक्री कराए जाने के लिए जिलाधिकारी से मांग की है।