शिवगढ़ (रायबरेली)। रायबरेली आए अमेरिका के डॉ. शान की टीम और उनके साथ उनके अनुसंधान सहायक जेसिका फर्नान्डिस, जेनिफर बोशमेंन, कैरोलाइन वॉलिस, जेसिका हनरेड्डी, लेख्सी अलेक्सण्डरा वोलपी, कॉलिन डायर, जॉन रॉजर्स ने जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवगढ़ व चितवनियां ग्राम सभा के पूरे गंगादीन गए और देखा की किस तरह अस्पताल और घर में नवजात बेबी को कंगारू मदर केयर दिया जाता है। डॉक्टर शॉन डीओनी, अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा एवं इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं। जो मुख्य रूप से एक भौतिक वैज्ञानिक है जो एम.आर.आई मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग पर एक विशेषज्ञ है और इसका उपयोग मस्तिष्क के विकास और प्रारंभिक बचपन के विकास को समझने के लिए करते हैं। उन्होंने और उनकी टीम ने व्यापक समूह विकसित किए हैं जो मस्तिष्क के विकास का अध्ययन करने वाले शुरुआती किशोरों तक गर्भावस्था से शुरू होते हैं, और विभिन्न कारकों के प्रभाव को और कैसे प्रभावित करें, उस पर अनुसंधान करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने मस्तिष्क में माइलिनिनेशन को मापने के लिए एक तकनीक प्रोटोकॉल विकसित किया है जो सफेद और भूरे पदार्थ का एक उपाय प्रदान करता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवगढ़ में सुंदर और साफ लाउन्ज को देखकर पूरी टीम बहुत प्रभावित हुई। डॉ. सोनकर ने बताया कि केएमसी लाउंज के आने के बाद माँ धनदेवी एक महीने से ज्यादा रुकी और अन्य मांओं के लिए मिसाल बनी हैं। डॉ. शॉन ने लाउंज को देखकर कहा कि इस तरह की सुविधा तो अमेरिका में भी केएमसी माँओं को नहीं मिलती हैं। यहां से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। जिसके बाद टीम चितवनियां ग्रामसभा के पूरे गंगादीन संतोष कुमारी पत्नी राहुल गौतम के घर गयी। बताते चलें कि संतोष कुमारी ने चार सितंबर को 1870 ग्राम के लोबर्थ वेट बेबी को जन्म दिया था। जिसके चलते उन्हें केएमसी लाउंज में शिफ्ट किया गया गया था। जहां संतोष कुमारी दो दिन रुककर बेबी को केएमसी देना सीखा था। जहां से डिस्चार्ज होने के बाद घर लौटी मां संतोष कुमारी बेबी को करीब 24 घंटे में 14-16 घण्टे केएमसी देती हैं। जब घर के काम करती हैं तो उनके पति राहुल घर पर केएमसी देते हैं। इसके साथ ही बच्चे की दादी भी केएमसी देती हैं।