- संत नगर चैराहा बुढ़वारा में लगा कवियों को जमावड़ा, बही काव्य सविता
रायबरेली। दुर्गा पूजा समिति दोस्तपुर बुढ़वारा के तत्वावधान में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रधान भारत सिंह और सूबेदार रामकरन सिंह के आयोजन व प्रभाकर मिश्र के संयोजन में आयोजित इस कवि सम्मेलन की शुरूआत सानिया सिंह द्वारा प्रस्तुत की गई मां सरस्वती की वंदना से हुई। इसके बाद आनंद ‘दीवाना’ ने अपने गीत और मुक्तकों से कवि सम्मेलन का आगे बढ़ाया। बीर रस के कवि अंजनी अमोघ और यज्ञ कुमार पाण्डेय ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं में देशभक्ति का संचार करते हुए खूब जोश भरा। वरिष्ठ गीतकार सतेन्द्र सिंह ‘सौम्य’ ने अपनी रचना – ‘हे दशरथ कौशिल्या नंदन धरती पै फिर अवतार लेह्या। तू त्रेता का तार्या जैसे यहि कलजुग का अब तार देह्या।’ पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी। वरिष्ठ गीतकार निर्मल प्रकाश श्रीवास्तव ने जहां ‘भाव भक्तों के समझ, दूर करती कष्ट मां। आइये कुछ पल बिताये मां की शीतल छांव में।।’ पढ़कर भक्तिभाव का संचार किया। वहीं नरेन्द्र मिश्र ‘निराश’ ने ‘उमर पचपन की दिल बचपन का’ पढ़कर इस नश्वर शरीर और उसके कार्याें के बीच के गूढ़ रहस्य को बाखूबी समझाया। वरिष्ठ साहित्यकार अनीस देहाती ने अपनी रचना ‘मन बसा कलमस बहारै का खरहरा आइगा, राम जी के नाम कै हमका ककरहा आइगा।’ पढ़कर लोगों को हंसाया। हास्य व्यंग्य के कवि प्रभाकर मिश्र ने अपनी रचना ‘छुपा रखने की सारी जतन हो गयी, हम लुटेरे लगे वो रतन हो गयी। बंद कमरे और पर्दे में यूं रख रहे, जैसे साली न काला धन हो गयी।।’ पढ़कर खूब गुदगुदाया। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे अनुज अवस्थी ने – ‘सत्तर वर्षों से फूल फल रही आरक्षण की क्यारी है, बहुत दलित उत्थान हो चुका अब सवर्ण की बारी है।’ रचना के माध्यम से आरक्षण पर प्रहार किया। कवियत्री सानिया सिंह ने भी अपनी रचना के माध्यम से आरक्षण की पीड़ा को कुरेदते हुए पढ़ा – ‘काहे झांेक दिया है देश को, आरक्षण की आग में। कौन कमी मिल गई सवर्णाें के निष्छल अनुराग में।।’ कवि सम्मेलन की अध्यक्ष कर रहे बृजेश श्रीवास्तव ‘तनहा’ ने अपनी रचनाओं से मंच को असीम ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया। इसके अलावा डाॅ. अजित शुक्ल, मजीद रहबर, शैलेन्द्र गुलशन आदि ने भी अपनी रचनायें प्रस्तुत की। इस मौके पर अशोक सिंह, पुतान सिंह, भगत पाल, सुधाकर मिश्र, राजा सिंह, परशदेपुर चैकी इंजार्च श्रीराम पाण्डेय सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।