ग़मगीन माहौल में निकला हज़रत अली के तबूत का जुलूस

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परशदेपुर (रायबरेली)। 21 रमज़ान को हज़रत अली की शहादत की याद में परशदेपुर के छोटे इमामबाडे से अकीदत के साथ ताबूत और अलम का जुलूस निकला।बताते चले कि 1400 साल पहले 21 रमज़ान के दिन हज़रत अली जो कि पैग़म्बर के दामाद थे शहीद कर दिए गए थे।उसी की याद में सोमवार की रात में मौला ए कायनात हजरत अली की शहादत का जुलूस अकीदत और एहतराम के साथ छोटे इमामबाडे से निकला।जुलूस में शिरकत करने के लिए जायस से अंजुमन असग़रिया भी आई।जुलूस छोटे इमामबाड़े से निकल कर मोहल्ला गढ़ी होते हुए काजियाने के बड़े इमामबाड़े में पंहुचा। जुलूस में नौहाखान डॉ. आमिर रिजवी ने “अली अली हाय अली, रोके ये ज़ैनब ने कहा भाई मेरा क़त्ल हुआ” पढ़ा जिसको सुनकर सभी अजादारों की आंखें नम हो गईं और मातमदारों ने नौहे पे मातम किया। जायस से आई अंजुमन असग़रिया के नौहाख्वान सुरुर नक़वी, शुजा नक़वी,अब्बास अली,शहरोज़ नकवी ने भी अपनी पुरकशिश आवाज में “ये जनाज़ा है अली का,मर गया बाबा शब्बरो शब्बीर का”नौहा पढ़ा जिसको सुनकर मातमदारों ने मातम किया और सभी की आंखों से आंसू निकल पड़े।रास्ते मे या अली मौला हैदर मौला की सदाओ से माहौल ग़मगीन होता रहा।जुलूस अपने ख़दीमी रास्तो से होता हुआ बड़े इमाम बाड़े पहुचा ।वहां से जुलूस गढ़ी मोहल्ला होते हुए फिर छोटे इमामबाड़े पंहुच कर समाप्त हुआ। जुलूस खत्म होने के बाद इमामबाड़े में मजलिस हुई जिसको आलम नक़वी ने खिताब किया। जुलूस में सारिम रिज़्वी, आसिफ, बाबर, बबलू, शम्सी रिजवी ,लारेब, बबलू आदि मौजूद रहे। डीह थानाप्रभारी अनिल सिंह ने भी जुलूस के दौरान सुरक्षा का जायज़ा लिया।परशदेपुर चौकी इंचार्ज नारायण कुशवाहा अपनी टीम के साथ जुलूस में पूरे टाइम मुस्तैदी के साथ शामिल रहे। जुलूस के बाद अंजुमन के सेक्रेटरी डॉ. इतरत और सभासद शम्सी रिज़वी ने आये हुए सभी मेहमानों और प्रशासन का शुक्रिया अदा किया।

शम्शी रिजवी रिपोर्ट

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