डलमऊ रायबरेलीनिरीक्षण के दौरान रायपुर कितूली में बंद मिला आंगनबाड़ी केंद्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में नौनिहालों सेहत सुधारने के लिए लाखों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है वहीं शिक्षा व्यवस्था के नाम पर करोड़ों के बजट के वारे न्यारे कर दिए जाते हैं किंतु ब्लॉक स्तर में बैठे कर्मचारियों की वजह से शासन की योजनाओं पर कितना अमल किया जाता है यह तो फाइलों में ही पता चलता है मामला विकासखंड दीन शाह गौरा का है जहां पर गुरुवार को एडीओ पंचायत ने आंगनबाड़ी केंद्र व परिषदीय विद्यालयों का निरीक्षण किया तब हकीकत उजागर हुई जानकारी के अनुसार बता दें कि सहायक विकास अधिकारी पंचायत दीन शाह गौरा योगेश पाल सिंह ने गुरुवार को विकासखंड के ग्राम पंचायत रायपुर कितूली के प्राथमिक विद्यालय पूरे जट का निरीक्षण किया जहां पर मात्र 3 छात्र उपस्थित मिले उसी कैंपस में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लगा हुआ था स्थानीय लोगों ने बताया कि ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र बंद ही रहता है
वही नौनिहालों को मिलने वाला पका पकाया पोषण आहार भी नहीं दिया जाता है ग्राम पंचायत थुलरई के प्राथमिक विद्यालय पूरे राठौरन में 2 अध्यापक अनुपस्थित मिले मात्र एक शिक्षामित्र के सहारे विद्यालय संचालित था वहां पर मात्र एक छात्र उपस्थित था पूर्व माध्यमिक विद्यालय थुलरई में दो अध्यापक उपस्थित थे वहां दो अध्यापक अनुपस्थित मिले यहां पर छात्र संख्या शून्य थी यहां पर भी आंगनवाड़ी केंद्र बंद मिला यह तो मात्र एक बानगी है विकासखंड में अधिकतर परिषदीय विद्यालयों की हालत खस्ताहाल है नौनिहालों को मिलने वाले पके पकाए भोजन में भी गोलमाल किया जाता है आंगनबाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों को मिलने वाला पोषाहार सिर्फ कागजों पर ही वितरित होता है सहायक विकास अधिकारी पंचायत वाईपी सिंह ने बताया कि उनके उनके द्वारा गुरुवार को प्राथमिक विद्यालय पूरे जट, प्राथमिक विद्यालय पूरे राठौरन व पूर्व माध्यमिक विद्यालय थुलरई का निरीक्षण किया गया कहीं पर अध्यापक अनुपस्थित मिले तो कहीं पर छात्र संख्या शून्य थी प्राथमिक विद्यालय पूरे जट में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र बंद मिला ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री केंद्र पर कभी-कभार दिखाई पड़ती हैं पूर्व माध्यमिक विद्यालय थुलरई में छात्र संख्या शून्य पाई गई निरीक्षण की आख्या मुख्य विकास अधिकारी रायबरेली को कार्यवाही हेत भेजी जाएगी
अनुज मौर्य/विमल मौर्य रिपोर्ट