नई दिल्ली: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) एक्ट पर एक बार फिर नये सिरे से बवाल शुरू हो गया है. एक तरफ जहां सवर्ण संगठनों ने केंद्र की मोदी सरकार के संशोधन के फैसले के खिलाफ देशव्यापी बंद का एलान किया है तो अनुसूचित जाति के नेताओं ने इसपर चिंता जताई है. वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी में एससी-एसटी एक्ट को लेकर राय बंटी है.
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने कल कानून पर निजी राय रखते हुए कहा कि जमीन पर एससी-एसटी एक्ट का दुरूपयोग हो रहा है. इससे लोगों के अंदर असमानता का भाव पैदा हो रहा है. अधिकारी भी डर रहे हैं कि अगर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो कार्यवाही हो जाएगी. फर्जी मुकदमों में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ”पक्ष और विपक्ष का मुद्दा नहीं है, कानून के दुरुपयोग को रोकने के पक्ष में हूं मैं, सभी दल के नेता अपने यहां के फीडबैक को लें, सभी दल समाधान को लेकर विचार करें.”
एससी/एसटी ऐक्ट को लेकर बलिया जिले की बैरिया सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि दलित उत्पीड़न एक्ट दलितों का बिजनेस बन गया है. उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, ”दलित प्रेमी सरकार और सभी पार्टियां विधेयक लाकर 10 साल के लिए पूरे देश को दलितों के हवाले कर दें ताकि आनेवाले समय में कोई आरक्षण की मांग न करे.”
बीजेपी की सफाई
एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ बीजेपी के भीतर उठ रही आवाज पर पार्टी ने सफाई दी है. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री और बीजेपी नेता विजय सांपला ने कहा कि किसी व्यक्ति की निजी राय मायने नहीं रखती है. उन्होंने कहा, ”बयान उनकी निजी राय हो सकती है. संसद में सभी ने कानून के समर्थन में वोट किया. जब संसद ने बिल पास किया है तो किसी की निजी राय कोई मायने नहीं रखती है.”
पासवान बोले- चुनाव की वजह से विरोध
मोदी सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर विपक्षी दलों पर निशाना साधा है. साथ ही बिल पास कराने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की.
एससी/एसटी एक्ट का पुरजोर समर्थन कर रहे एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ”ये नया कानून नहीं है. पुराना कानून है. चुनाव के मद्देनजर करवाया जा रहा है. सबको साथ लेकर चलने की बात है. एलजेपी सवर्ण गरीबों के लिए भी 15 प्रतिशत आरक्षण की मांग करती आई है.”
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट कर कहा, ”कांग्रेस,BSP, SP,RJD सहित महागठबंधन के सभी दल नरेंद्र मोदी सरकार को दलित और पिछड़ा विरोधी कहते थे लेकिन जब नरेंद्र मोदीजी की सरकार ने दलित एक्ट को संसद से पास करा’कर पूर्ववत अधिकार दिए और पिछड़ी जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का काम किया तो वे पार्टियां आज चुप्पी क्यों साधे है?”
बंद का एलान
सवर्ण वर्ग से जुड़े करीब 35 संगठनों ने कल एससी/एसटी एक्ट के विरोध में भारत बंद बुलाया है. सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में मध्य प्रदेश है. वहीं बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाए हैं.
मध्य प्रदेश में भीड़ ने कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ा दी है. एससी/एसटी एक्ट का विरोध कर रहे लोग नेताओं को देखते ही घेर कर नारेबाजी करने लगते हैं. राज्य में इसी साल के आखिरी में वोट डाले जाएंगे. मध्य प्रदेश के कई जिलों में आज ही धारा 144 लागू कर दी गई है. राज्य में पिछले कई दिनों से एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के विरोध में आंदोलन हो रहे हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, छतरपुर, शिवपुरी, भिंड, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर आदि स्थानों पर निषेधाज्ञा 144 लागू कर दी गई है. वहीं पुलिस बल को सतर्क कर दिया गया है. वहीं एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बंद को देखते हुए पेट्रोल पंप एशोसिएशन ने प्रदेश के सभी पेट्रोल पंप को 6 सितंबर को शाम 4 बजे तक बंद रखने का ऐलान किया है
ध्यान रहे की इसी साल अप्रैल में एससी/एसटी एक्ट के पक्ष में आरक्षित वर्ग द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी. इसमें चार लोगों की मौत भी हुई थी. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य का प्रशासन और पुलिस पूरी तरह सतर्क है, पुलिस बल की तैनाती की गई है.
बवाल क्यों शुरू हुआ?
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि इसके अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी. इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं.
विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे की सरकार ने कोर्ट में दलील ठीक ढ़ंग से नहीं रखी जिसकी वजह से कानून कमजोर हुआ अब फिर दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था इस दौरान जमकर हिंसा हुई थी.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले बीजेपी सांसदों ने भी विरोध में आवाज उठाई थी और अपनी ही सरकार से कहा था कि सरकार अध्यादेश लाकर कानून को पूर्ववत लागू करे. जिसके बाद मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पूर्ववत लागू करने के लिए संसोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया. अब इसके विरोध में सवर्ण वर्ग ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.