प्रणब मुखर्जी के अलावा नाना जी देशमुख और भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति रह चुके हैं.
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न सम्मान देने का एलान किया गया है. प्रणब मुखर्जी के अलावा जनसंघ के नेता नाना जी देशमुख और प्रख्यात गायक, संगीतकार और गीतकार भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति रह चुके हैं. वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी रहे हैं.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर की प्रणब मुखर्जी की तारीफ
Pranab Da is an outstanding statesman of our times.
He has served the nation selflessly and tirelessly for decades, leaving a strong imprint on the nation's growth trajectory.
His wisdom and intellect have few parallels. Delighted that he has been conferred the Bharat Ratna.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 25, 2019
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें खुद फोन करके इसकी जानकारी दी है. इस एलान के बाद पीएम मोदी ने मुखर्जी की तारीफ करते हुए कहा, ”प्रणब दा हमारे समय के एक उत्कृष्ट राजनेता हैं. उन्होंने दशकों तक देश की निस्वार्थ और अथक सेवा की है.”
प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली थी. प्रणब मुखर्जी ने किताब ‘द कोलिएशन ईयर्स ‘1996-2012’ लिखी है.
मनमोहन सरकार में रहे वित्त मंत्री
बता दें कि प्रणब मुखर्जी मनमोहन सरकार की दूसरी सरकार में वित्त मन्त्री बने थे. इस पद पर वे पहले साल 1980 के दशक में भी काम कर चुके थे. 6 जुलाई 2009 को उन्होंने सरकार का वार्षिक बजट पेश किया था. इस बजट में उन्होंने क्षुब्ध करने वाले फ्रिंज बेनिफिट टैक्स और कमोडिटीज ट्रांसक्शन कर को हटाने सहित कई तरह के कर सुधारों की घोषणा की थी.
प्रणब मुखर्जी को मिल चुके हैं ये सम्मान
प्रणब मुखर्जी को साल 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है. इतना ही नहीं मुखर्जी को साल 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड भी मिला था. न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, साल 1984 में दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी थे.
देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान
बता दें कि वित्त मन्त्रालय और अन्य आर्थिक मन्त्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया है. वह लम्बे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया था. उन्हें प्रथम दर्जे का मन्त्री माना जाता है और सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता की थी.
2 जनवरी 1954 को हुई थी भारत रत्न की स्थापना
बता दें कि कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में असाधारण और उल्लेखनीय राष्ट्र सेवा करने वालों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान दिया जाता है. इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा की गई थी. पहला भारत रत्न सम्मान चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को प्रदान किया गया. शुरू में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का चलन नहीं था, लेकिन एक साल बाद इस प्रावधान को जोड़ा गया. इसी तरह खेलों के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वालों को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रावधान भी बाद में शामिल किया गया.