बुधवार को इसरो ने GSAT-29 सैटलाइट लॉन्च किया. यह इस साल इसरो का पांचवां लॉन्च है.जीसैट-29 नई स्पेस तकनीक को टेस्ट करने में एक प्लैटफॉर्म की तरह काम करेगा. इस लॉन्च में GSLV माक-3 रॉकेट की मदद ली गई, जो भारत का सबसे वजनी रॉकेट माना जाता है. इसका वजन 640 टन है. इस रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह भारत में बना है. देखें तस्वीरें और वीडियो
GSAT-29 सैटलाइट का वजन 3423 किलोग्राम है. यह भारत से भेजा गया सबसे भारी सैटलाइट है. इस पूरे प्रोजेक्ट में 15 साल लगे हैं. लॉन्च में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बूस्टर S200 का इस्तेमाल किया गया. इस नए सैटेलाइन की मदद से जम्मू-कश्मीर के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों को कम्युनिकेशन में फायदा होगा.
इसरो चीफ ने बताया कि ऑपरेशनल पेलॉड्स के अलावा यह सैटलाइट तीन प्रदर्शन प्रौद्योगिकियों, क्यू ऐंड वी बैंड्स, ऑप्टिकल कम्युनिकेशन और एक हाई रेजॉल्यूशन कैमरा भी अपने साथ ले गया है. भविष्य के स्पेस मिशन के लिए पहली बार इन तकनीकों का परीक्षण किया गया.
इसरो के अनुसार, जीएसएलवी-एमके III रॉकेट की यह दूसरी उड़ान है, जो लॉन्च होने के बाद 10 साल तक काम करेगा. लॉन्च होने के बाद सैटेलाइट को पृथ्वी से 36,000 किमी दूर जियो स्टेशनरी ऑर्बिट (जीएसओ) में स्थापित किया गया है. यह भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में हाई स्पीड डेटा को ट्रांसफर करने में मदद करेगा.
GSLV माक-3 रॉकेट की ऊंचाई 13 मंजिल की बिल्डिंग के बराबर है और यह चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है. अपनी पहली उड़ान में इस रॉकेट ने 3423 किलोग्राम के सैटलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाया था. इस रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार हुआ नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें लिक्विड ऑक्सिजन और हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है.