रायबरेली। जेल अफसरों और कर्मचारियों की कमाई की चाहत ने जिला कारागार के सिस्टम को फेल कर दिया। छोटे बंदियों पर तो शिकंजा कसा जाता था, लेकिन बड़े अपराधियों पर नरमी बरती जाती थी। यही वजह थी कि बड़े अपराधियों के लिए जेल किसी ऐशगाह से कम नहीं थी। खानपान से लेकर हर सामग्री अपराधियों को आसानी से मुहैया हो जाती थी।
मोबाइल के जरिए यहां बंद अपराधी सूबे के कई माफिया डान से बात करके आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में थे। रायबरेली जेल में अपराधियों की ओर से शराब पार्टी करने और उसके बाद उच्चाधिकारियों से कराई गई जांच के बाद कुछ यही सामने आ रहा है।
माफिया डान मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद भी जेल की व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया। वायरल वीडियो में अपराधी जेलर को 10 हजार और डिप्टी जेलर को पांच हजार रुपये देने की बात कह रहे हैं। खास बात यह है कि हर बैरक में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसके बावजूद यह सब हो गया और अफसर अंजान बने रहे।
जेल सूत्र बताते हैं कि जेल अफसर और अन्य कर्मचारी चंद रुपयों की खातिर अपराधियों को खानपान से लेकर अन्य सामग्री उपलब्ध करा देते थे। 20 रुपये में एक पीस रसगुल्ला, 25 रुपये की सब्जी, 100 रुपये के चार पराठा दिए जाते थे। इसके अलावा शराब, मोबाइल समेत अन्य सामान उपलब्ध कराया जाता था। जांच अभी चल रही है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे जेल में चल रहे अन्य खेल का खुलासा होगा।
सोहराब को भिजवाया तिहाड़ जेल पर नहीं लिखवाई रिपोर्ट
जेल में चखना और शराब पार्टी के वायरल वीडियो में पांच बंदी दिख रहे हैं। मामला उजागर होने के बाद जेल प्रशासन की ओर से बंदी निखिल सोनकर को सुल्तानपुर, अजीत को बाराबंकी, दलसिंगार सिंह को फतेहपुर और अंशू का प्रतापगढ़ जिला कारागार स्थानांतरण कर दिया गया है। पांचवां बंदी सोहराब था। उस पर एफआईआर नहीं दर्ज कराई गई और उसे पहले ही तिहाड़ जेल भिजवा दिया गया। कहा जा रहा है कि सोहराब सूबे के एक बडे़ माफिया डान का करीबी था। इसलिए उस पर केस लिखाने की हिम्मत अफसर नहीं जुटा पाए थे।
अपने ही बुने जाल में फंस गए गए जेल अफसर
जेल अफसर अपने ही बुने जाल में फंस गए। जेल अफसरों ने आनन-फानन में चार बंदियों के खिलाफ सदर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराकर मैसेज देने की कोशिश की कि यह सब जेल के अंदर मोबाइल से बात कर रहे थे। यही नहीं डिप्टी जेलर को जान से मारने की धमकी की बात भी कही गई। सवाल ये उठता है कि बंदियों के पास मोबाइल कैसे पहुंचा था। यदि पहुंचा था तो उसके लिए तो अफसर और अन्य कर्मचारी ही जिम्मेदार थे। फिर ऐसे में केस क्यों दर्ज कराया गया। उधर, केस लिखने के बाद यह मामला सुर्खियों में बना और वीडियो वायरल हो गया। वीडियो वायरल के बाद शासन ने बड़ी कार्रवाई कर दी।
फिर भी नहीं सुधरे अफसर, लाइटर व ड्राईफूड मिला
जेल अफसरों की गर्दन पर कार्रवाई की तलवार लटक गई, लेकिन इसके बाद भी जेल की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं कराया गया। शासन के निर्देश पर डीएम संजय कुमार खत्री, एसपी सुजाता सिंह ने रविवार की शाम जेल में छापा मारा। इस दौरान जेल में सिगरेट, लाइटर, माचिस, मिठाइयां, ड्राईफूड आदि खाद्य पदार्थ मिले। जांच के बाद देर शाम जिला प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी।
उत्पीड़न से जान गंवा रहे थे बंदी
जेल अफसरों की प्रताड़ना से बंदी या तो जान गंवा रहे थे या खुदकुशी का प्रयास कर रहे थे। एक माह पहले खीरों के रहने वाले एवं जेल में बंद गुड्डू ने फांसी लगा लगी थी। मामले में जेलर समेत अन्य कर्मचारियों पर बंदी को मार डालने का आरोप लगा था। शुक्रवार को बंदी जग्गा और रविवार को बंदी दशरथ ने खुदकुशी का प्रयास किया था। जेल अफसरों की दबंगई से कुछ जेल कर्मचारी भी परेशान थे, लेकिन नौकरी के डर से वह अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पा रहे थे।