दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय में फिलहाल 5000 से अधिक तदर्थ अध्यापक अध्यापन का कार्य कर रहे थे । सरकार ने अचानक 28 अगस्त को फरमान जारी करके सभी तदर्थ अध्यापकों को नौकरी से वंचित कर दिया । जिससे शिक्षक आक्रोशित होकर सड़कों पर उतर गए हैं । दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA)भी फिलहाल तदर्थ अध्यापकों को नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर गई है । दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल मीणा ने बताया कि AAD संगठन के चेयरमैन आदित्य नारायण मिश्रा ने तदर्थ अध्यापक जब तक नियमित नहीं हो जाती तब तक उनके साथ सड़कों पर आंदोलन करते रहेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ की व्यवस्था होने के कारण शिक्षक अनिश्चितता के दौर में गुजरता है। प्रत्येक 4 महीने बाद उसको विश्वविद्यालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इस तरह अनिश्चितता के कारण वह अपनी पारिवारिक द नीतियां बनाने में असमर्थ रहता है। तदर्थ व्यवस्था के कारण कई अध्यापकों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं । कई मामले मानसिक शोषण के सामने आए हैं जिसके कारण दिल्ली विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रक्रिया पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है । हर बार उनको दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन के चुनावों के आसपास उनको नियमित करने का सपना दिखाया जाता है, हर बार उसको निराशा हाथ लगती है । अध्यापक इसलिए मांग कर रहे हैं क्योंकि देश के कई विश्वविद्यालयों में नियमित होने का कार्य हो चुका है । जब देश की जगह जगह विश्वविद्यालय में यह हो चुका है तो सरकार क्यों दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ अध्यापकों को नियमित नहीं करना चाहती ? डॉ डॉनिल मीणा ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने पहले भी कई बार गेस्ट टीचरों को परमानेंट किया है कांग्रेस ने हाल फिलहाल में मध्यप्रदेश और राजस्थान के गेस्ट टीचर को नियमित करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है । डॉ अनिल मीणा ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में तदर्थ अध्यापकों को नियमित करने की घोषणा की थी। कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला नहीं और तदर्थ अध्यापक आज भी सड़कों पर भटक रहे हैं । जिससे दिल्ली विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है । दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ अध्यापकों ने कहा है कि जब तक उनको नियमित नहीं कर दिया जाए तब तक वह वाइस चांसलर हाउस के सामने सड़कों पर कड़ाके की ठंड में आंदोलन करते रहेंगे । डॉ अनिल मीणा ने बताया कि राष्ट्र निर्माण में सबसे ज्यादा जिसका योगदान होता है वह शिक्षक है । आज सरकार की रणनीतियां शिक्षकों के खिलाफ है, जिसके कारण शिक्षक सड़कों पर हैं । फिलहाल देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, राष्ट्र निर्माण करने वाला शिक्षक सड़कों पर भटक रहा है ।सरकार की फिलहाल रणनीतियां शिक्षा को उद्योग के रूप में स्थापित करके कुछ गिने-चुने चंद उद्योगपतियों के हाथों बेचने की है जिसके परिणाम स्वरूप देश का बहुसंख्यक वर्ग शिक्षा से वंचित होने का षड्यंत्र शुरू कर दिया है दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक सड़कों पर इसलिए उत्तर रहे हैं कि यदि शिक्षा व्यवस्था इसी तरह से बर्बाद हो गई तो आने वाली पीढ़ियों को वह क्या जवाब देंगे ?
डेस्क टीम रिपोर्ट