रायबरेली। रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। कुछ ऐसा ही हाल रायबरेली जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड की तरफ का है। बढ़ रही भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए नल की टोटी तो लगी है लेकिन पानी की बूंद भी उसमें नहीं आ रही है। तीर के निशान के साथ दीवार पर लिखा शुद्ध पेय जल में जल की कोई सुविधा ही नहीं है। इमरजेंसी वार्ड की तरफ जो मरीज भर्ती है उनके परिजनों को पानी या तो बाहर से लाने जाना पड़ता है या फिर परिसर में ब्लड बैंक के पास रखी टंकी से। काफी अरसे से खराब पड़े इस शुद्ध पेय जल की मरम्मत कराने के लिए अस्पताल प्रशासन ने कोई कदम भी नहीं उठाया है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर सिद्धार्थ सिंह ने जिला अस्पताल का दौरा भी किया । लेकिन बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहा यह शुद्ध पेय जल पर किसी की भी नजर नहीं पड़ी। पड़ेगी भी कैसे पूरा अस्पताल कि प्रशासन सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए परिसर की उस जगह को दिखाता है जिसमें उनकी पीठ थपथपाई जाए। गर्मी के दिनों में पानी हम सभी के लिए बहुत ही आवश्यक है। ऐसे में अगर कोई मरीज इमरजेंसी में दिखाने आता है अगर उसे या उसके परिजन को प्यास लग गई तो या तो वह बाहर से बोतल का पानी खरीद कर लाए या फिर परिसर के दूसरी ओर भाग कर जाए। सवाल यह उठता है कि सालों से खराब पड़ी इस टोटी की मरम्मत कराने के लिए क्या स्वास्थ्य विभाग के पास फंड नहीं है या फिर लापरवाही की भेंंट चढ़ गया है यह शुद्ध पेय जल। सीएमओ साहब अगर इस टोटी को ठीक नहीं करा सकते तो निकलवा दीजिए जनता को गुमराह करने के लिए दिखावे के लिए मत रखिए। वीपीआईपी जिला कहे जाने वाले रायबरेली के जिला अस्पताल का हाल ही कुछ ऐसा है। कभी ड्यूटी चार्ट पर डॉक्टर और स्टाफ का नाम नहीं लिखा होता। तो पानी की टोटी में पानी नहीं आता। दीवार पर लगे पोस्टर में जल ही जीवन है इसे हमें बचाना है, इसकी बूंद बूंद की रक्षा हमें करनी है लेकिन बूंद बूंद की रक्षा करते करते अस्पताल प्रशासन ने शुद्ध पानी देेेना बंंद कर दिया। अब देेेखने वाली बात यह है कि इस पूूरे मामलेे मेें क्या कार्रवाई होती है, या फिर शुद्ध पानी की बूंद को तरसता रहेगा इमरजेंसी वार्ड।
अनुज मौर्य रिपोर्ट