सहकारी समितियों पर जमकर किया जा रहा खेल ,मजबूरन किसान महंगी यूरिया खरीदने को मजबूर

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सहकारी समिति के सचिवों के द्वारा धड़ल्ले से महंगे रेट पर बेंची जा रही यूरिया खाद

लालगंज(रायबरेली)!जहां एक तरफ सरकार जीरो टालरेंस व भ्रष्टाचार मुक्त की बात कर रही है वहीं सरकारी नुमाइंदे सरकार की छवि को दागदार व उनके भ्रष्टाचार मुक्त दावे को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं!एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहां मजबूर किसान महंगे दामों में यूरिया खाद खरीदने को मजबूर है!जी हां,हम बात कर रहे हैं डलमऊ तहसील क्षेत्र की जहां क्षेत्रीय किसान मंहगी यूरिया खरीदने को मजबूर है!धान की रोपाई के बाद किसानों को यूरिया खाद की अधिक जरूरत पड़ती है।किसान यूरिया खरीदने के लिए अपने आसपास की सहकारी समितियों के चक्कर लगाता है।अधिकतर सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है,फिर भी अगर क्षेत्र के किसी सहकारी समिति में खाद उपलब्ध भी है तो वहां पर सचिव मनमानी तरीके से खाद बेच रहे हैं।सरकारी मूल्य निर्धारित होने के बावजूद किसानों को अधिक मूल्य पर यूरिया खाद बेंची जा रही है !प्राइवेट की तो बात छोंडो सहकारी समितियों की दुकानों में रेट में कोई फर्क नहीं है,दोनों का एक जैसा रेट होता है।किसान समिति के चक्कर लगाता है!सचिव की मनमानी की वजह से किसानों की जेबों में डाका डाला जा रहा है।किसान करे तो क्या करें,किसी तरह अपनी फसल को तैयार करने को लेकर मजबूरन सहकारी समितियों से महंगी यूरिया खाद खरीदने को मजबूर है।जब इस मामले पर कुछ सचिवों से बात की गई कि 266 रुपये 50 पैसे की खाद 280 से 300 में क्यों बेंजी जा रही तो उनके द्वारा बताया जा रहा कि कुछ ऐसे काम हमें कराने पड़ते जिनका खर्चा हमें विभाग के द्वारा नहीं मिलता है।मजबूरन उसका खर्च हमें उठाना पड़ता है।इसलिए हम किसानों की जेब में डाका डाल रहे हैं।जबकि सरकार किसानों की आय दुगुनी करने की बात कह रही है,वहीं सरकारी कर्मचारियों की मनमानी की वजह से सरकार को बदनाम करने का कार्य किया जा रहा है।सरकार भले ही लाख दावे करें कि किसानों की आय दुगुनी होगी पर धरातल पर किसानों के साथ धोखाधड़ी हो रही है।अधिकतर सहकारी समितियों में ना तो इनका सरकारी रेट बोर्ड लगा और ना सचिवों का सम्पर्क नंबर लिखा है,जिससे दूर से आने वाले किसानों को राहत मिल सके और किसान वहां पर पहुंचने के बाद खाली वापस न लौटे व सचिव से बात कर सके तथा समय के साथ उनको खाद मिल सके जिससे किसानों का समय भी कम लगे और किसान अपनी फसलों को समय से खाद पानी दे सकें।

आखिर क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी

सहकारी समितियों में निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर खाद बेची जा रही तो जांच कराकर दोषी सचिवों पर कार्रवाई की जाएगी!

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