स्वलीन व्यक्ति भी बन सकते हैं आत्मनिर्भर : अभय
स्वलीनता के हर वर्ष दस लाख से ज्यादा मामले भारत में :अभय
रायबरेली। विकास क्षेत्र अमावां के प्रथमिक विद्यालय पूरे मद्धु में समेकित शिक्षा और ओम मानव उत्थान संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जागरुकता गोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के बच्चों शिक्षको, बच्चों के अभिभावकों क्षेत्र के लोगों को स्वलीनता के विषय मे जागरूक किया गया। कार्यक्रम में प्रशिक्षक के रूप में पधारे समेकित शिक्षा के प्रशिक्षक अभय प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि ऑटिज़्म एक प्रकार का स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर है जो कि बातचीत करने व लोगों से जुड़ने की क्षमता को कम कर देती है। ये एक मस्तिष्क का विकार है । जिसमें मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र एक साथ काम करने में विफल हो जाते हैं। इससे ग्रसित व्यक्ति सामान्य लोगों की तुलना में अलग तरीके से सुनते, समझते और महसूस करते हैं। ये डिसऑर्डर विभिन्न बच्चों को अलग अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है। कुछ को सामाजिक संपर्क की समस्या होती है, तो कुछ अक्सर शब्दों को दोहराते रहते हैं। इससे ग्रसित कुछ लोग नज़रे मिलाने से बचते हैं, निर्देशों का पालन कम करते हैं। अक्सर इनका शब्दकोष कम रहता है, फाइन मोटर में कमी चिड़चिड़ापन व नाम पुकारने पर अक्सर प्रतिक्रिया नहीं करते। ऑटिज़्म की समस्या बारह माह से सोलह माह के बच्चों में स्पष्ट होने लगती है जो कि जीवन पर्यन्त बनी रहती है।
ऑटिज़्म के साथ जुड़ी अन्य समस्याओं पर भी प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि ऑटिस्टिक बच्चे को दौरे, ट्यूमर, भावनात्मक समस्याएं भी हो सकती है।
इसके कारणों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि ये मुख्यतः अनुवांशिक व पर्यावर्णीय कारणों से होता है। ये लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक पाया जाता है। छब्बीस सप्ताह से पहले पैदा हुए बच्चे में इसके होने की संभावना बढ़ जकाती है।
ऑटिज़्म से बचाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि गर्भवती माँ की नियमित जांच सन्तुलित भोजन अल्प व्यायाम के साथ साथ बच्चे के जन्म के पूर्व, जन्म के दौरान और जन्म के पश्चात नियमित जांच , दवाओं और नियमित टीकाकरण से इसकी रोकथाम सम्भव है।
ऑटिज़्म का इलाज तो नहीं है किंतु व्यवहार परिमार्जन की विभिन्न तकनीकों के माध्यम से इसमें काफी सुधार की संभावनाएं बन जाती हैं। आत्म सहायता, सामाजिक कौशल प्रशिक्षण आदि कई तकनीकें विकसित की गईं हैं और निरन्तर शोध जारी भी है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी इन बच्चों हेतु काफी प्रभावशाली होती है साथ ही साथ बच्चों में संवाद कौशल विकसित करने के लिए स्पीच थेरैपी का प्रयोग काफी कारगर है। इन विभिन्न तकनीकों के माध्यम से स्वलीन व्यक्ति को कई मायने में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम में ओम मानव उत्थान संस्थान के दिव्यांग छात्र शबाब अली ने देशगित व ग़ज़ल प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका शशि सिंह ने उपस्थित लोगों को समेकित शिक्षा के विकास के लिए प्रशिक्षक अभय श्रीवास्तव से जुड़ने के लिए प्रेरित किया तथा उनके प्रयासों की सराहना की। उपस्थित शिक्षिका सुचिता श्रीवास्तव व सुषमा यादव ने कहा उक्त कार्यक्रम से काफी मनोरंजक पूर्ण तरीके से जानकारी मिली । ऐसे कार्यक्रम लगातार होने चाहिए।
इस अवसर पर। आंगनवाड़ी कार्यकर्ती ज्ञानवती , एस एम सी अध्यक्ष रामकरन , अभिभवक जितेन्द्र, रामरती, चन्द्रवती आदि लोग उपस्थित रहे।
अनुज मौर्य रिपोर्ट