रसमयी कविता के जीवन्त इतिहास थे नीरज : डॉ.  रामनरेश 

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रायबरेली। हिन्दी गीतों के राजकुमार, हिन्दी की वीणा और अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के अप्रतिम नायक पद्म भूषण गोपालदास ‘नीरज’ की अनुपस्थिति की क्षतिपूर्ति असम्भव है। हिन्दी मंचों पर ऐसी असाधारण लोकप्रियता का व्यक्तित्व दूसरा नहीं हुआ।
उक्त बातें स्थानीय दयानंद महाविद्यालय बछरावां में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने व्यक्त किये। प्राचार्य डॉ. राम नरेश ने नीरज जी के अनेक संस्मरण सुनाए और उनके कृतित्व की गहन मीमांसा करते हुए कहा कि नीरज ने आज के अकविता वादी दौर में पारंपरिक रसमयी कविता के जीवन्त इतिहास थे। डॉ. सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि नीरज का कवि कर्म युगों-युगों तक जन-जन का कष्टहर बना रहेगा। वे सचमुच कालजयी रचनाकार थे। भगवान कुमार अवस्थी ने कहाकि नीरज जी का बछरावां से गहरा स्नेह सम्बन्ध रहा। वे मानवतावादी प्रेम, सौंदर्य और वेदना के कवि थे। सभा के मुख्य अतिथि अरूण दीक्षित ने कहाकि नीरज कवि सम्मेलनों के पर्याय थे। उनका समाज बोध एवं राष्ट्रभाव प्रेरक था। अध्यक्षता कर रहे बीईओ पद्म शेखर मौर्य ने कहा कि गोपाल दास नीरज मानवतावादी गीतकार थे। ऐसे गीतकार धरा पर कभी-कभी अवतरित होते है। इस मौके पर डॉ. विनीता श्रीवास्तव, डॉ. अजय कुमार, डॉ. जयसिंह यादव, डॉ. सत्येन्द्र सिंह राठौर, डॉ. पूर्णेश्वरी, डॉ. केबी गौड आदि उपस्थित रहे। महाविद्यालय एवं उत्कर्ष इण्टर कालेज के सौम्या, प्रज्ञा, वैशाली, अंशिता, उज्ज्वल, सुमित, प्रतिभा आदि ने नीरज जी के गीतों को प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर लिया।

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