रायबरेली। ‘साक्षर भारत मिशन’ के अंतर्गत प्रेरक समन्वयक की सामूहिक समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय साक्षरता कर्मी महासंघ के पदाधिकारियों ने कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह से मिलकर प्रेरकों की बात विधानसभा तक पहुंचाने की मांग की है। हरचंदपुर के पश्चिम गांव स्थित लिटिल फ्लावर पब्लिक स्कूल में एक जनसभा के दौरान संगठन के संस्थापक अकमल खान एवं प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार सिंह ने मांग पत्र के माध्यम से विधायक को बताया कि भारत सरकार की साक्षर भारत मिशन योजना अंतर्गत राज्य सरकार ने 2000 मासिक मानदेय पर ग्राम पंचायतों में एक महिला और एक पुरुष प्रेरक की तैनाती की थी। इसी प्रकार ब्लाक, जनपद तथा प्रदेश स्तर पर पूर्णकालिक संविदा कर्मी के रूप में समन्वयक रखे गए थे। जिनके द्वारा साक्षरता के क्षेत्र में आमूलचूल योगदान दिया जा रहा था, लेकिन एक अप्रैल 2018 से राज्य सरकार ने इन सभी की सेवाएं रोक दी हैं। साथ ही साथ 40 महीने का मानदेय भी बकाया है। जिससे उत्तर प्रदेश के सवा लाख और संपूर्ण भारतवर्ष के साढ़े पांच लाख साक्षरता कर्मियों पर रोजी-रोटी और परिवार के भरण-पोषण
का संकट गहरा गया है। पदाधिकारियों ने अपने ज्ञापन में विधायक से मानदेय के साथ साक्षरताकर्मियों की सेवा बहाली पर विधान सभा में सरकार से आग्रह करने का अनुरोध किया है। इस दौरान कांग्रेस विधायक ने आश्वासन दिया कि वह वर्तमान में जारी विधानसभा सत्र के दौरान अविलंब प्रेरकों की बात सरकार के समक्ष रखेंगे और उनके निराकरण की हर संभव कोशिश की जाएगी। इस अवसर पर मुख्य रुप से राम नारायण सिंह पूर्व एनपीआरसी, अभिनेन्द्र सिंह, रामचंद्र विश्वकर्मा, तेज प्रताप सिंह, रंजना सिंह, संतोष सिंह, गोपाल सेन, राम सजीवन पासवान आदि उपस्थित रहे।