गृहस्थ आश्रम से बड़ा कोई आश्रम नहीं:आचार्य शैलेंद्र महाराज

156

प्रतापगढ़ –लाखूपुर गांव में खषटम दिवस की कथा में कथा व्यास आचार्य शैलेंद्र जी महाराज के द्वारा संगीतमयी श्री मद्भागवत भागवत कथा में बताया गया कि
गृहस्थ आश्रम से बड़ा कोई आश्रम नहीं
एकंर । ऋषि स्नान का का अर्थ ब्रह्म मुहूर्त में
मानव स्नान का अर्थ है सूर्योदय के पूर्व
दिन के 12:00 बजे के बाद राक्षस स्नान है
आसमान के लिए जल उतना ही लीजिए जितना पर्याप्त है
जल का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए
मानव प्राणी के लिए जल का संचय आवश्यक है
बचे हुए जल से दूसरे को व स्नान नहीं करना चाहिए नहीं तो मानव के लिए पाप होता है
प्रभु की माया को मानव की सृष्टि में कोई नहीं जानता है
श्रीमद् भागवत कथा के उपरांत राधा कृष्ण गोपी की अनंत मनमोहक झांकियां भी प्रस्तुत की गई
कथा के मुख्य यजमान निर्मला रामकिशोर मिश्रा सपरिवार नात रिश्ते दार एवं समाज की अन्य माताएं बहने युवा पुरुष बुजुर्गों ने श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया

अवनीश कुमार मिश्रा रिपोर्ट

Previous articleबाबा साहेब की पुण्यतिथि पर होगा रक्तदान- दलित फ़ाउंडेशन
Next articleसाले का अपहरण कर हत्या कारित करने वाले जीजा सहित 02 अभियुक्तों को पुलिस ने किया गया गिरफ्तार –