तिलोई (अमेठी)। तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित बिजली नहीं मिल पा रही है। जिससे आम जनमानस का जीना मुहाल हो गया है। जब से लोकसभा का चुनाव खत्म हुआ और परिणाम सामने आए तब से लेकर आज तक विद्युत व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा सी गई है। ग्रामीणों को मिलने वाली रोस्टर के हिसाब से बिजली का पूर्ति विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत व्यवस्था को लेकर एक रोस्टर जारी की। जिसमें ग्रामीण क्षेत्र को 18 घंटे बिजली दिए जाने का आदेश है लेकिन उसके बाद भी 18 घंटे बिजली ग्रामीण क्षेत्र को मिलने को कौन कहे 9 घंटे भी ग्रामीणों को बिजली नहीं मिल रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली व्यवस्था काफी हद तक समुचित रूप से संचालित की गई।लेकिन चुनाव खत्म होते ही विद्युत व्यवस्था पूरी तरीके से ध्वस्त हो गई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को जब से अमेठी की सांसद बनी और उससे पहले भी अमेठी की जनता के लिए विकास के लिए तत्परता दिखाई इतना ही नहीं जनपद के विकास के लिए सांसद एवं केंद्रीय मंत्री कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया लेकिन उनका ध्यान ग्रामीण क्षेत्र के विद्युत व्यवस्था की और आज तक नहीं जा सका है। तहसील क्षेत्र के अंतर्गत मोहनगंज में बना विद्युत पावर हाउस से लगभग 12 सौ गांवों को विद्युत सप्लाई की जाती है। अमावा से मिलने वाली बिजली आए दिन खराब रहती है। इस पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।समुचित रूप से बिजली न मिलने के कारण किसानों की फसलें सूख रही है।ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को बिजली,नहर में पानी व खाद दवा आदि अगर सही समय पर मिलता रहे तो ग्रामीण स्तर पर काफी विकास हो सकता है। लेकिन किसानों की इन विकट समस्याओं को कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नेता मंत्री देखने को तैयार नहीं है। इन दिनों किसानों को बिजली के साथ ही खाद व दवा की अत्याधिक जरूरत है। बिजली न आने से किसानों की फसलें सूख रही हैं नहरों से पानी गायब है खाद की कीमतें दिनों दिन आसमान छू रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर सरकार किसानों को समय पर नहरों में पानी बिजली खाद दवा का प्रबंध कर देती तो किसानों की आज स्थिति ये न होती।साथ ही किसानों का कहना है कि खाद 50 किलो की जगह 45 किलो कर दिया गया है और रुपए उससे अधिक वसूल किए जा रहे हैं। मजबूर होकर हम किसान लोग खाद दवा महंगी कीमतों पर लेने को मजबूर हैं।
मोजीम खान रिपोर्ट