पाती जैसी उच्च कोटि की अवधी रचना के लिए सदैव याद आएंगे उन्मत्त

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( कविकुल के साहित्यकारों ने गीत के माध्यम से दी भावभीनी श्रद्धांजलि )
प्रतापगढ़। साहित्य शिरोमणि आद्या प्रसाद *उन्मत्त* अपनी अवधी कृति *पाती* के लिए सदैव याद किए जाते रहेंगे। श्रद्धेय उन्मत्त जी,बाल न्यायाधीश, नोटरी मजिस्ट्रेट, अधिवक्ता, अवधी व खड़ी बोली के उच्च कोटि के रचनाकार, पत्रकार एवं समाज के प्रति चिंतनशील व्यक्तित्व के धनी थे । उनकी रचनाओं में समाज के अंतिम व्यक्ति की पीड़ा व दर्द परिलक्षित होता है। यही नहीं, *लेखनी* *दिल खोलकर ललकार वंदे* *मातरम* जैसी पंक्तियों की रचनाओं में उनका राष्ट्रप्रेम झलकता है।
उक्त बातें साहित्यिक संस्था *कविकुल* द्वारा कलेक्ट्रेट स्थित अधिवक्ता शक्तिपीठ कार्यालय पर उनकी *पुण्यतिथि* पर आयोजित गोष्ठी में कवियों ने कही।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर संगम लाल त्रिपाठी *भंवर की अध्यक्षता एवं सुरेश नारायण दुबे ब्योम के संचालन में संपन्न गोष्ठी में सर्वप्रथम आनंद *प्रचंड* सहित अन्य रचनाकारों ने उन्मत्त जी के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। विषम परिस्थितियों में गोष्ठी में न पहुंचने पाने पर कविकुल अध्यक्ष परशुराम उपाध्याय सुमन ने फोन से श्रद्धेय उन्मत्त जी को हार्दिक श्रद्धासुमन अर्पित किया है।
इस अवसर पर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए *मुख्य अतिथि* शेख मुंशीरजा अनीश *देहाती , विशाल नाथ तिवारी विशाल, गंगा प्रसाद पांडे भावुक, आनंद प्रचंड, सुरेश दुबे ब्योम,चिंतामणि पांडे, डीके शर्मा, ओम प्रकाश श्रीवास्तव *पंछी* , शेष नारायण दुबे *राही* , प्रवेश पांडे, राजकुमार पांडे
आदि रचनाकारों ने अपने गीत और विचारों के माध्यम से उन्मत्त जी के प्रति अपने श्रद्धाभाव प्रस्तुत किया।
अंत में अधिवक्ता शक्तिपीठ के अध्यक्ष राज किशोर त्रिपाठी एडवोकेट ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

अवनीश कुमार मिश्रा रिपोर्ट

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