सावधान अगर आप जा रहे जिला अस्पताल तो अपने साथ लेकर जाए टॉर्च

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रायबरेली। कहने को तो रायबरेली वीवीआइपी जिला है पर यहां जा राणा बेनी माधव सिंह जिला चिकित्सालय पूरी तरह से वेन्टीलेटर पर है। इस भीषण गर्मी में लाइट चले जाने पर यहां टार्च की रोशनी में न सिर्फ इलाज किया जाता है बल्कि मरीजों को इंजेक्शन व ग्लूकोश आदि भी चढ़ाया जाता है। आप हैरान हो रहे होंगे कि क्या वीवीआइपी जिले के सरकारी अस्पताल में ऐसा भी हो सकता है तो आप इस खबर को जरूर देखिए और देखिए स्वास्थ्य महकमे की नाकामी को।

टार्च की रोशनी में डाक्टर व स्टॉफ द्वारा किये जा रहे इलाज की तस्वीरों को गौर से देखिए यह तस्वीरे रायबरेली जिला चिकित्सालय की है। जहां 24 घंटे बिजली का दावा किया जाता है पर जनरेटर का डीजल बचाने व सीएमएस की मनमाने रवैए से डाक्टर तो डाक्टर मरीजों को भी 2-4 होना पड़ रहा है। ये तस्वीरें उस एमर्जेनशी कक्ष की है जहां हादसे में घायल, व तत्काल इलाज के लिए मरीज लागये जाते है अब आप भी सोचिए बिना लाइट कर टार्च की रोशनी में उनका इलाज यहां किया जा रहा है। यह तस्वीर शुक्रवार शाम 8 बजे की है जब लाइट चली गई और घंटो तेदेपा रहे मरीजों का इलाज डाक्टर टार्च की रोशनी में करते रहे और सीएमएस की लापरवाही के चलते अस्पताल में ही रखे जनरेटर को नही चलवाया गया। यही नही एक पेसेंट इतना सीरियस था कि उसे तत्काल आक्सीजन की जरूरत थी पर आक्सीजन सिलेंडर भी काफी समय बाद काम किया जिससे उसे काफी परेशानी हुई।

टार्च की रोशनी में इलाज करते डाक्टर व अन्य स्टॉफ

अब आईय आपको दूसरी तस्वीर से तालुख करवाते है यह तस्वीर वार्डो की है जब लाइट ने आँख मिचौली की तो मरीज तो मरीज उनके तीमारदारों को भी गंर्मी में दो चार होना पड़ा और टार्च की रोशनी जलाकर हाथ के पंखे के सहारे मरीज को गर्मी से राहत दिलवाने के प्रयाश किया जा रहा था। अब आप भी सोचिए जब जिला अस्पताल में जनरेटर लगा है और उसमे डीजल का पैसा सरकार देती है तो फिर चंद रुपये बचाने के चक्कर मे मरीजो कि जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है ।

हाथ के पंखे के सहारे गर्मी से बचाव करते तीमारदार

जब एक घण्टे बाद लाइट आई तो मरीजों व उनके तीमारदारों ने राहत की सास तो ली पर अस्पताल प्रशासन के इस रुख पर आक्रोश व्यक्त किया। तीमारदारों की माने तो हम लोग अस्पताल मरीज को लेकर आये तो यहां लाइट नही थी और डाक्टर टार्च की रोशनी में किसी तरह इलाज कर रहे थे यहां तक कि इंजेक्शन भी टार्च की रोशनी में लगाया जा रहा था।

वही जिला अस्पताल की एमर्जेंशी में तैनात ईएमओ डॉ रोशन पटेल की माने तो लाइट के चले जाने से हम लोगो ने मरीजों का इलाज किया किसी भी तरह काम प्रभावित न हो इसके लिए टार्च की रोशनी कक सहारा लेना पड़ा। जब उनसे सवाल जनरेटर न चलने का पूछा गया तो डाक्टर साहब ने कहा कि यह अस्पताल प्रशासन का मामला है।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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