सबूतों और गवाहों के मद्देनजर यह अदालत सुनाती है तुम्हे मौत की सजा

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सलोन,रायबरेली।सलोन थाना क्षेत्र के मायाराम का पुरवा गांव में डेढ़ साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में रायबरेली की एक अदालत ने अभियुक्त व्यक्ति को दोषी करार देते हुये फांसी की सज़ा सुनाई है।अदालत ने यह फैसला 6 साल बाद सुनाया है।निर्भया मामले में अभियुक्त को फांसी की सजा दिलाने में तत्कालीन एसएचओ गजेंद्र पाल सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।इस जघन्य अपराध में लगभग एक दर्जन लोगों ने गवाही दी है।विशेष न्यायाधीश पॉक्सो विजयपाल ने सज़ा सुनाई है।जबकि शासकीय वक़ील वेदपाल
सिंह ने आरोपी के लिये फांसी की मांग की थी।सलोन थाना क्षेत्र के मायाराम का पुरवा गांव में 2 मई 2014 को डेढ़ वर्षीय निर्भया बच्ची के चाचा का तिलक समारोह आयोजित हुआ था।कार्यक्रम के आयोजक के दूर के रिश्तेदार जिंतेंद्र सिंह निवासी पालहीपुर थाना सलोन ने निर्भया बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाते हुए उसके साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था।फिर उसकी गाला घोटकर हत्या करने के बाद पास के ट्यूबेल में लाश फेक दी थी।तत्कालीन कोतवाल गजेंद्र पाल सिंह ने बेहद संजीदा मामले में बच्ची की पिता के तहरीर पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।6 साल बाद डेढ़ वर्षीय बालिका के बलात्कार करने व उसकी हत्या के मामले में दोष सिद्ध होने पर कोर्ट ने अभियुक्त जिंतेंद्र सिंह को मुकदमा अपराध संख्या 241/14 अंतर्गत धारा 376, 302, 201 आईपीसी व 3 / 4 पोक्सो अधिनियम में फांसी
की सजा सुनाई है ।ये फैसला विशेष न्यायाधीश पॉक्सो श्री विजयपाल ने सुनाया है ।अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक वेद पाल सिंह का योगदान सराहनीय रहा है। इस अभियोग की पुलिस की तरफ से पैरवी करने का जिम्मेवारी पुलिस अधीक्षक रायबरेली और अपर पुलिस अधीक्षक रायबरेली को सौंपी थी।

अनुज मौर्य/प्रदीप गुप्ता रिपोर्ट

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