मूसलाधार बारिश के बाद भी बाबा के दरबार मे पहुच रहे जायरीन

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तिलोई (अमेठी)। विकास क्षेत्र के अन्तर्गत भीखीपुर गांव में स्थित बाबा अब्दुल समद शाह की मजार सांप्रदायिक सौहार्द और गंगा जमुनी संस्कृत की अनुपम छटा बिखेरती है। बाबा की मजार पर 97 वां उर्स ताजी 25 ,26, 27 सितंबर 2019 से शुरू हो चुका है ।जो प्रति वर्ष इस्लामिक मोहर्रम महीने की 25, 26, 27 को मनाया जाता है। बाबा के उर्स में कई सप्ताह पूर्व दूरदराज से दुकानें आ चुकी है 3 दिनों तक चलने वाले बाबा के उर्स में काफी संख्या में लोग बाबा की मजार पर अपनी हाजिरी लगाते हैं जो भी श्रद्धा के साथ जाता है बाबा की मजार पर मुराद जरूर पूरी होती है। कौमी एकता के नाम से सुप्रसिद्ध बाबा समद शाह की मजार पर सभी धर्मों के लोग आस्था के साथ शीश झुकाते हैं ।

गौरतलब रहे कि बाबा की मजार पर वर्ष में दो बार परंपरागत तरीके से उर्स संपन्न होता है पहला उर्स बाबा के पीर बाबा ताजुद्दीन नागपुरी की यादगार में मोहर्रम की 25, 26, 27 को प्रतिवर्ष होता है जिसे शाह बाबा ने अपने जीवन काल से ही भीखीपुर में करना शुरू कर दिया था दूसरा बाबा समद शाह के पर्दा करने के बाद उनकी यादगार में उनके अनुयायियों के द्वारा प्रतिवर्ष रमजान की 14, 15, 16 तारीख को मनाया जाता है क्योंकि शाह बाबा का पर्दा रमजान माह में हुआ था। बताते हैं कि बाबा ने अपनी शिक्षा मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के चौथे पुत्र बाबा अब्दुल लतीफ शाह सत्थिन शरीफ से लिया था।
सूफी संत का सेहरा प्राप्त बाबा अब्दुल समद भीखीपुर के जमींदार पीर गुलाम के घर पैदा हुए थे जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी फकीरी में काट दी उनका सिर्फ देश के लोगों का दुख दर्द दूर करना था बताते हैं कि बाबा बचपन से ही आजाद किस्म के थे और कभी भी परिजनों की नहीं सुनते थे जो मन में आता था उसे करके ही दम लेते थे। बाबा के बारे में लिखें सिज्रे के मुताबिक शाह बाबा बचपन मे महाराष्ट्र प्रान्त के नागपुर चले गए जहां उनकी मुलाकात बाबा ताजुद्दीन नागपुरी से घाटी के किनारे वाकी के जंगल मे हुई और उन्होंने उन्हें अपना गुरु (पीर) मानकर उनकी सेवा में लग गए और वहीं से इनका चमत्कारिक कार्य शुरू हुआ तथा बाबा भी ईश्वर की उपासना में हमेशा जुड़ गए व कई वर्षों तक भीखीपुर में ईश्वर की उपासना में लीन रहे। मोहर्रम माह में भीखीपुर में शाह बाबा की मजार पर लगने वाला ताजुद्दीन का उर्स महाराष्ट्र के नागपुर में भी विशाल स्तर से मनाया जाता है। क्योकि ताजुद्दीन बाबा का पर्दा नागपुर में मोहर्रम माह में हुआ था ।भीखीपुर में इलाके के व आसपास के कई जनपदों के लोग बाबा की मजार पर आकर के शीश नवाकर मन्नतें मांगते हैं। चादर पोशी व सिरिनी का चढ़ावा करते हैं। बाबा के आस्ताने पर आम लंगर का आयोजन होता है। जिसमें आए हुए हजारों श्रद्धालुओं को लंगर का खाना दिया जाता है। तीन दिनो तक चलने वाले 97 वाँ सालाना उर्स ताजी में 25सितंबर से उर्स का आगाज हो गया जिसमें बाद नमाज इशा नातिया मुशायरा का प्रोग्राम किया गया | उर्स के दूसरे दिन 26 सितंबर को बाद नमाजे ए फज्र कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया तथा दिन में परचम कुशाई (झंडा) बाद नमाज जोहर गस्त हुआ| बाद नमाजे मगरिब व लंगर एवं महफिले शमा का आयोजन देर रात्रि तक चला 27 सितंबर को बाद नमाज फजिर कुरान खानी तथा 9 बजे से 1 बजे दिन में महफिले मिलाद पाक बाद नमाजे जुहर मजलिश महफिले शमा का आयोजन किया जाएगा उक्त जानकारी मजार शरीफ के सज्जादा नशीन बाबा जफरुल हसन ताजी ने दी बाबा के मजार पर लगने वाले उर्स में भारी तादाद में दुकान आ चुकी है जायरीनों की भीड़ बढ़ रही है। मजार पर श्रद्धालु सिरिनी व चादर चढ़ाकर मन्नतें मांग रहे है।लगातार हो रही बारिश के बाद भी जायरीनों का आगमन हो रहा है। दूर दराज से आए जायरीनों के लिए बारादरी मे ठहरने का इन्तिजाम उर्स कमेटी द्वारा किया गया है।

मोजीम खान रिपोर्ट

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