तिलोई (अमेठी)। तहसील क्षेत्र के अंतर्गत इन दिनों धान की फसल में एक विशेष प्रकार के संक्रामक रोग लग गया है। जिसे कुछ लोग कड़वा तो कुछ लोग अगिया और कुछ लोग हरदीहा रोग बोल रहे हैं। जिसकी चपेट में धान की संपूर्ण फसल बर्बाद हो रही है। यह रोग देखते ही देखते तेजी के साथ पूरे खेत को कब अपने आगोश में ले लेती है। यह किसी किसान को भी पता नही चलता है। पहले फसल में फफूंदी की तरह दिखाई देती है जो 24 घंटे के भीतर ही विकराल रूप धारण कर पूरे धान की फसल को नष्ट कर दे दी। इतनी महंगाई से और परिश्रम के बाद जहां किसानों की धान की फसल अब तैयार होने के करीब है। वही इस प्रकार की विशेष संक्रामक रोग से धान की फसलें चौपट होती जा रही हैं। आसपास के छोटे और बड़े किसान सभी परेशान दिखाई पड़ रहे हैं। रोग का आलम यह है कि पिछले तीन-चार सालों से धान की फसलों को बर्बाद कर रहा है। अगर यही हाल रहा तो किसान धान की फसल लगाने से कन्नी काट लेंगे।यह संक्रामक रोग कृषि विज्ञान और कृषि के क्षेत्र में जानकारी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। जागरूक किसान मोहम्मद नसीम का कहना है कि दवा का छिड़काव काम नहीं कर रहा है। दवा छिड़काव कराने के बाद भी रोक समाप्त नहीं होता। किसान मोबीन अहमद ने बताया कि हमने दवा का छिड़काव किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। देखते ही देखते धान की फसल बर्बाद होती चली जा रही है। क्षेत्र के किसानों के लिए यह रोग परेशानी का सबब बना हुआ है।किसान कैलाश यादव ने बताया कि इस बार बरसात अच्छी हुई थी। धान की फसल ठीक दिखाई दे रही थी। वहीं इस रोग की चपेट में आकर धान की खेती बर्बाद हो रही है।एक दो किसान नही एक दो खेत नहीं लगभग सभी किसान और लगभग हजारों हेक्टेयर फसल इस रोग की चपेट में है। किसानों का कहना है कि किसी प्रकार की कोई भी दवा इस रोग में काम नहीं कर रही है। अगर यही हाल रहा तो किसान धान की खेती नहीं कर पाएंगे। जो धान पक कर तैयार हो गए हैं वह तो इस रोग की चपेट से बच गए हैं। लेकिन जो भी धान व किसी प्रजाति का धान हो इस समय हरा है और फिर बालिया लटक रही सभी धान इस रोग की बंपर चपेट में है।
(मोजीम खान )