पुलिस का नाम सुनते ही डरने वाले लोग प्रमोद सिंह को देखते ही खुशी से भर जाते हैं. प्रमोद सिंह की पहल से संस्था में मदद करने वालों की संख्या बढ़ रही है. संस्था ने आज दो अक्टूबर यानी गांधी-शास्त्री जयंती के अवसर पर 2000 गरीबों को नि:शुल्क भोजन कराकर महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया.
गोरखपुर: एक तरफ जहां योगीराज में कुछ घटनाओं की वजह से पुलिस की छवि दागदार हो रही है. वहीं सीएम सिटी में पुलिस का मानवीय चेहरा भी उभरकर सामने आया है. सब इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह ने गरीबों के लिए खुद को समर्पित कर दिया है. उन्होंने ड्यूटी के साथ एक अनोखी मुहिम छेड़ी है. उन्होंने दो अक्टूबर यानी गांधी-शास्त्री जयंती से उन्होंने सप्ताह में एक दिन गरीबों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है. उनके इस काम की हर तरफ प्रशंसा हो रही है.
‘‘हम हैं न’’…अब नहीं रहेगा कोई भूखा..महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर “नींव से निर्माण तक, जन्म से निर्वाण तक, ‘‘हम है न’’ की अनोखी मानवता की मुहिम शुरू हुई है. इसमें गरीबों को निःशुल्क खाने की व्यवस्था की शुरुआत की गई है. हालांकि “हम है न” संस्था की नींव चार महीने पहले गोरखपुर के धर्मशाला पुल के नीचे धर्मशाला चौकी इंचार्ज प्रमोद सिंह ने रखी. उन्होंने संस्था से 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्यापारियों को जोड़ा. इसका उद्देश्य गरीबों को कपड़े, जूते-चप्पल, गरीब बच्चों को निःशुल्क चिकित्सा-शिक्षा और उनके रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की शुरुआत की.
प्रमोद सिंह की मेहनत रंग लाई और खाकी का एक मानवीय चेहरा भी लोगों के सामने आया. पुलिस का नाम सुनते ही डरने वाले लोग प्रमोद सिंह को देखते ही खुशी से भर जाते हैं. प्रमोद सिंह की पहल से संस्था में मदद करने वालों की संख्या बढ़ रही है. संस्था ने आज दो अक्टूबर यानी गांधी-शास्त्री जयंती के अवसर पर 2000 गरीबों को नि:शुल्क भोजन कराकर महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया.
संस्था ने मंगलवार से निःशुल्क भोजन देने की शुरुआत भी की है. इसमें सप्ताह में एक दिन 300 लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. प्रमोद बताते हैं कि संस्था का उद्देश्य माह में एक-एक दिन बढ़ाकर इस मुहिम को हर रोज 1000 गरीबों को भोजन पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा करना है. उनका कहना है कि वे कोई सरकारी सहायता नहीं ले रहे हैं. शुरुआत में संस्था के साथ कुछ व्यापारी और समाजसेवी जुड़े. अब उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. उनका कहना है कि पुलिस का नाम सुनते ही लोग डरते रहे हैं. लेकिन, उनकी इस पहल से अन्य लोगों को भी सीख मिलेगी और पुलिस के साथ आम आदमी भी सहजता के साथ जुड़ सकेगा.
सब इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह ने शहर के अधिक से अधिक जागरूक लोगों को संस्था से जुड़कर गरीबों की मदद की अपील की है. आमजन से उनकी अपील है कि वे अपने पास बेकार पड़े पुराने कपड़े, जूते-चप्पल और अन्य जरूरत के सामान उन्हें उपलब्ध कराएं, जिससे गरीबों की मदद की जा सके. वे बताते हैं कि हर रोज दो से ढाई सौ कपड़े, जूते और रोजमर्रा के जरूरत के सामान लोग संस्था को दे जाते हैं. इतनी ही संख्या में गरीब अपने जरूरत के सामान ले भी जाते हैं.
भोजन उपलब्ध कराने की इस सामाजिक सेवा का उद्घाटन मंगलवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शलभ माथुर ने किया. उन्होंने कहा कि गरीबों से जुड़ी इस मुहिम का सपना धर्मशाला चौकी प्रभारी प्रमोद सिंह ने देखा और अपनी अथक मेहनत से सपने को हक़ीक़त के धरातल पर उतार दिया. चौकी इंचार्ज धर्मशाला प्रमोद कुमार सिंह ने सराहनीय कार्य करते हुए गरीब असहाय लोगों के मददगार बन समाज में पुलिस को एक अलग चेहरा औऱ पहचान दिया. इस अवसर पर गरीब बच्चों ने स्वच्छता का संदेश देता हुआ रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया और लोगों ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें नमन किया.
लखनऊ की घटना के बाद एक तरफ जहां लोग खाकी वर्दी वालों को कोस रहे हैं. वहीं, प्रमोद सिंह की इस पहल ने लोगों के सामने खाकी का मानवीय चेहरा भी सामने लाया है. ऐसे में जब कोई पुलिसवाला गरीबों की ओर देखकर ये कहे कि घबराओ मत भूखे हो…’हम हैं न’…तो जाहिर सी बात है कि हर गरीब का चेहरा खुशी से खिल उठेगा.